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29 May 2024 · 1 min read

जब भर पाया ही नहीं, उनका खाली पेट ।

जब भर पाया ही नहीं, उनका खाली पेट ।
धीरे-धीरे हो गए, सपने मटियामेट ।।
सपने मटियामेट, हो गए आह न आई ।
लेकर खाली पेट, संग तज गई लुगाई ।।
टूट गया विश्वास, ईश कुछ काम न आया ।
सूख गए सब अश्रु, उन्होंने जब भर पाया ।।

महेश चन्द्र त्रिपाठी

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