जब भरोसा ही नहीं मेरी बातों में
जब भरोसा ही नहीं मेरी बातों में
न आया करो ख्वाब बन रातों में
बात तकलीफ़ का न किया करो
अब रखा ही क्या मुलाकातों में
खुश नहीं हो, मुझसे दूर जाकर
मत पूछना क्या हैं जज़्बातों में
गलती मेरी ही थी, ये मान लिया
माफ़ी थोड़ी भी न बची नातों में
सफ़र हैं, रास्ता साथ हो जायेगा
आख़िर मंजिल मिलेगी रास्तों में
✍️रवि कुमार सैनी ‘यावि’