जब नभ की …
जब नभ की अगुणित सीमाएं
शीतल शशिमय हो जाती है
जब धरा हिमालय से उठकर
स्वागत में मलय चलाती है
तब ऐसा क्या कुछ होता है
हर बात सुखद हो जाती है
तब ऐसा क्यूँ कुछ होता है
सौगात सहज हो जाती है
जब खुशी मौज सी मचल उठे
हर मौज नैन से छलक उठे
हर छठा छठा को चूम उठे
ख्वाहिश पूरी हो झूम उठे
बोलो ऐसा कब होता है
पूछो क्या यह सच होता है
ऐसा तो तब ही होता है
जब दो रूहानी लोग मिले
ऐसा तो तब ही होता है
जब धरती अम्बर गले लगे
ऐसा तो तब ही होता है
जब दिल से दिल तक ग़ज़ल उठे
ऐसा तो तब ही होता है
जब प्यार प्यार में मचल उठे….#दीप