जब दरख़्त हटा लेता था छांव,तब वो साया करती थी
जब दरख़्त हटा लेता था छांव,तब वो साया करती थी
एक लड़की थी जो,ओढ़नी ओढ़ कर आया करती थी
वैसे तो बातें, मैं सबसे किया करता था ,
लेकिन वो मेरे ‘मन’ को भाया करती थी
-केशव
जब दरख़्त हटा लेता था छांव,तब वो साया करती थी
एक लड़की थी जो,ओढ़नी ओढ़ कर आया करती थी
वैसे तो बातें, मैं सबसे किया करता था ,
लेकिन वो मेरे ‘मन’ को भाया करती थी
-केशव