जब थामा था तुने हाथ
अत्र-अत्र अहजान हुए जब थामा था तुने हाथ
वक्त भी मेरे साथ हुए जब थामा था तुने हाथ
यूँ तो लकीरों पर विश्वास न था मेरा
विश्वास से ही लकीरें बनी जब थामा था तुने हाथ।
त्रासना सागर में डूबता जा रहा था मैं
एक बेजोड़ डोर सी लगी जब थामा था तुने हाथ
आँसूओ को गिरते देखा था मैंने
जब छोड़ा था तुने एक हाथ।
फेरों में वादों से रचा था मेरा हाथ
वादों में सिर्फ मुस्कान थी जब थामा था तुने हाथ
लड़ लो चाहे जितना पर अब अश्क ना गिरेंगे
अश्क तब गिरेंगे जब अलविदा होंगे ये हाथ।
इज़्हार करना चाहता हूं अपने दिल की ये बात
अत्र-अत्र अहजान हुए जब थामा था तुने हाथ।