जब तुम मिलोगी
जब तुम मिलोगी
जाने कैसे मिलोगी
जितनी शिद्दत से करता आया हूँ
क्या तुम भी मेरा उतना ही
इंतज़ार करती रही होगी
बेचैन हो कर करवटे बदल रही होगी
जज्बातों का ढेर सारा पुलिन्दा है भीतर मेरे
क्या तुम भी मेरे सामने
अपना राज खोलोगी
मेरी धड़कने तो अब से धड़क रही है
क्या तुम मेरे नाम से
धड़कने लगोगी
क्या मुझे भी तुम
अपने भीतर जीने लगोगी -अभिषेक राजहंस