जब तपता है घड़ा तभी पकता है घड़ा
जब वनवास में गए राम तभी
मर्यादा पुरुषोत्तम वो कहलाए
सिद्धार्थ छोड़कर गए राजपाठ
तभी वो भी गौतम बुध कहलाए।।
जब तपता है घड़ा तभी पकता है घड़ा
आदमी भी तो संघर्ष से ही बनता है बड़ा।।
लड़ी लड़ाई अंग्रेजों से जब उसने
तभी मनु भी लक्ष्मी बाई कहलाई
हो रहा था जब चीरहरण राजसभा में
तभी द्रौपदी को श्री कृष्ण की याद आई।।
जब तपता है घड़ा तभी पकता है घड़ा
आदमी भी तो संघर्ष से ही बनता है बड़ा।।
जब किया त्याग लक्ष्मण ने
तभी वो आदर्श भाई कहलाए
रहे वन में भ्रातृ सेवा के लिए
साथ श्री राम के ही घर वापिस आए।।
जब तपता है घड़ा तभी पकता है घड़ा
आदमी भी तो संघर्ष से ही बनता है बड़ा।।
भगीरथ ने की तपस्या हजारों साल
तभी वो गंगा जी को धरती पर ला पाए
जब की थी भीष्म प्रतिज्ञा देवव्रत ने
तभी वो भी पितामह भीष्म कहलाए।।
जब तपता है घड़ा तभी पकता है घड़ा
आदमी भी तो संघर्ष से ही बनता है बड़ा।।
छीन लाई थी पति के प्राणों को यमराज से
वो देवी फिर सती सावित्री कहलाई
कोई महान नहीं बनता दुनिया में यूं ही
लैला मजनू को भी सहनी पड़ी थी जुदाई।।
जब तपता है घड़ा तभी पकता है घड़ा
आदमी भी तो संघर्ष से ही बनता है बड़ा।।
बलिदान दिया गांधी जी ने और संघर्ष किया
तभी वो मोहन दास से हमारे बापू बन पाए
मेहनत की एक गरीब बच्चे ने तभी वो
मिसाइल मैन अब्दुल कलाम बन पाए।।
जब तपता है घड़ा तभी पकता है घड़ा
आदमी भी तो संघर्ष से ही बनता है बड़ा।।
कोई पराक्रम करता है कोई त्याग
कोई दर्द सहता है कोई जुदाई
कोई ऐसे ही बड़ा नहीं बन जाता
कोई संघर्ष करता है तो कोई लड़ाई।।
जब तपता है घड़ा तभी पकता है घड़ा
आदमी भी तो संघर्ष से ही बनता है बड़ा।।