जब तक बांस कांच
नमक पानी से गूंथी गई मिट्टी हो तो चाक पे नहीं चढ़ती
आग में तप जाने पे सुराही अपना आकार नहीं बदलती
~ सिद्धार्थ
जब तक बांस कांच
तभी तक बने धासा , टोकनी और छिट्टा
पके बांस से बने
डंडा, खूंटा और सोटा जिस अंग लगे
मन को करे कुछ खास ही मिट्ठा … ?
~ सिद्धार्थ