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31 Aug 2023 · 1 min read

मुक्तक

(दोहा मुक्तक)

प्रेमी उड़कर जा बसे,धरा गगन के बीच।
बनी प्रेम शुचिता रहे,पड़े न उन पर कीच।
खोज खोजकर दृष्टि हर,पहुँच गई आकाश,
लगा टकटकी देखता,पतित अधम हर नीच।।
डाॅ. बिपिन पाण्डेय

Language: Hindi
87 Views
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