जब तक, तब तक
तब तक हिन्दू बटे रहेंगे।
वाभन अपनी वभनाई पर
ठाकुर अपनी ठकुराई पर
बनिये अपनी बनियाई पर
शर्मा अपनी शर्माई पर
वर्मा अपनी वर्माई पर
अलगू अपनी अलगाई पर
जब तक अड़े रहेंगे
अलग थलग ही पड़े रहेंगे।
जातिवाद, विखराववाद है
समझ न पाएंगे
अस्तित्वों के झगड़ों में
लड़कर मर जाएंगे
सब के सब निज वंशों की
प्रभुताई गाएंगे
दूजों के आचरणों की
कमियाँ गिनवाएँगे
नादानी में शक्ति देश की
क्षीण बनाएंगे
जिस दिन समय चक्र बदलेगा
ठोकर खाएंगे
सबको नीचा कहने वाले
खुद को ऊँचा कहने वाले
अपनी फर्जी ऊँचाई पर
जब तक डटे रहेंगे
तब तक हिन्दू बटे रहेंगे।
संजय नारायण