जब चला शुद्ध का युद्ध
जब चला शुद्ध का युद्ध….
गली गली शहर शहर,
दिन रात हर पहर पहर,
फैला था जो जहर जहर,
बरपा रहा था कहर कहर,
जब चला शुद्ध का युद्ध…..
अमानक सामग्री कर रहे नष्ट नष्ट ,
मिलावट खोरो को दे रहे कष्ट कष्ट,
कर रहे उनके हौसले पस्त पस्त,
देख जनता है अब मस्त मस्त,
जब चला शुद्ध का युद्ध…
ढह गए गढ़ बड़े बड़े,
जो थे वर्षों से खड़े खड़े,
खिला रहे थे सड़े सड़े,
अब जेल में है पड़े पड़े,
जब चला शुद्ध का युद्ध…
खुश हुए सब जन जन,
खिल उठे उनके मन मन,
रुकना नही यह लहर लहर,
आ रहे हम (fso )तू ठहर ठहर
।।।जेपीएल।।