जब कोई साथी साथ नहीं हो
जब कोई साथी साथ नहीं हो, तब तू निराश नहीं होना।
नहीं छोड़ना संघर्ष जीवन में, खुद से उदास नहीं होना।।
जब कोई साथी साथ नहीं हो———————-।।
गर राह में पर्वत खड़ा हो, या रोके राह कोई तूफान।
लहरों से तू घबराना नहीं, राह में हताश नहीं होना।।
जब कोई साथी साथ नहीं हो———————।।
कांटें हो गर तेरी मंजिल में, या खाये किश्ती हचकौले।
छोड़कर तू पतवार अपनी, बढ़ने में वापस नहीं होना।।
जब कोई साथी साथ नहीं हो———————-।।
सपनें भी जब हो जाये खफा,नहीं हो सहारा किसी का।
टूटकर गर्दिश में कभी भी, रुसवां जिंदगी से नहीं होना।।
जब कोई साथी साथ नहीं हो———————-।।
काली घटा भी हटेगी एक दिन,होगा सवेरा भी एक दिन।
रात के बाद सवेरा ही है, नाउम्मीद जिंदगी में नहीं होना।।
जब कोई साथी साथ नहीं हो——————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)