जब कभी हमसे मिलने को आई ग़ज़ल
जब कभी हमसे मिलने को आई ग़ज़ल
दौड़कर हमने दिल से लगाई ग़ज़ल
बोझ दिल का घटा, चैन थोड़ा मिला
बन गई जब हमारी दवाई ग़ज़ल
उनकी यादों ने जब भी रुलाया हमें
आँसुओं से ही हमने सजाई ग़ज़ल
बाद मुद्दत के उनसे मिलन जब हुआ
आँखों आँखों में हमने सुनाई ग़ज़ल
पास तुमको ही महसूस अपने किया
स्वर सजाकर कभी भी जो गाई ग़ज़ल
हो गई जबसे हमको मुहब्बत सनम
तब से रग रग में अपनी समाई ग़ज़ल
अर्चना उनके स्वागत में हमने सदा
चाँद तारे सजाकर बिछाई ग़ज़ल
डॉ अर्चना गुप्ता
23-11-2021