जबसे तुमसे लौ लगी, आए जगत न रास।
जबसे तुमसे लौ लगी, जगत न आए रास।
नैना हर सूं ढूँढते, तीव्र दरस की प्यास।।
निर्निमेष देखूँ तुम्हें, भुला सभी दुख-द्वंद।
नैनों में छवि आँककर, करूँ सदा को बंद।।
© सीमा अग्रवाल
जबसे तुमसे लौ लगी, जगत न आए रास।
नैना हर सूं ढूँढते, तीव्र दरस की प्यास।।
निर्निमेष देखूँ तुम्हें, भुला सभी दुख-द्वंद।
नैनों में छवि आँककर, करूँ सदा को बंद।।
© सीमा अग्रवाल