Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Aug 2017 · 1 min read

जन मन

गाते गाते जन गण मन,
बालक मन बन गया जन,
आज हो गए हम जनक,
लगे बनाने अपनो को कनक,
रहती दिल में यही चाहत,
खुश रहे कोई न हो आहत,
समय जा रहा है पल पल,
बीत रही हैं उम्र कल कल,
जागो जगाओ कुछ कर दिखाओ,
अपनी अंतरआत्मा को तुम पहचानो,
।।।जेपीएल।।

Language: Hindi
359 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from जगदीश लववंशी
View all
You may also like:
गीत
गीत
Shiva Awasthi
*माटी कहे कुम्हार से*
*माटी कहे कुम्हार से*
Harminder Kaur
जीवन तेरी नयी धुन
जीवन तेरी नयी धुन
कार्तिक नितिन शर्मा
इस घर से .....
इस घर से .....
sushil sarna
*जब कभी दिल की ज़मीं पे*
*जब कभी दिल की ज़मीं पे*
Poonam Matia
वर्तमान समय मे धार्मिक पाखण्ड ने भारतीय समाज को पूरी तरह दोह
वर्तमान समय मे धार्मिक पाखण्ड ने भारतीय समाज को पूरी तरह दोह
शेखर सिंह
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Rekha Drolia
🌱मैं कल न रहूँ...🌱
🌱मैं कल न रहूँ...🌱
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
मातृ भाषा हिन्दी
मातृ भाषा हिन्दी
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
भारत माँ के वीर सपूत
भारत माँ के वीर सपूत
Kanchan Khanna
बढ़ती हुई समझ,
बढ़ती हुई समझ,
Shubham Pandey (S P)
बरसों की ज़िंदगी पर
बरसों की ज़िंदगी पर
Dr fauzia Naseem shad
मेरे कलाधर
मेरे कलाधर
Dr.Pratibha Prakash
इंसान इंसानियत को निगल गया है
इंसान इंसानियत को निगल गया है
Bhupendra Rawat
योगा डे सेलिब्रेशन
योगा डे सेलिब्रेशन
Dr. Pradeep Kumar Sharma
जब कभी उनका ध्यान, मेरी दी हुई ring पर जाता होगा
जब कभी उनका ध्यान, मेरी दी हुई ring पर जाता होगा
The_dk_poetry
*मित्र*
*मित्र*
Dr. Priya Gupta
मानसिक शान्ति के मूल्य पर अगर आप कोई बहुमूल्य चीज भी प्राप्त
मानसिक शान्ति के मूल्य पर अगर आप कोई बहुमूल्य चीज भी प्राप्त
Paras Nath Jha
बहुत दिनों के बाद मिले हैं हम दोनों
बहुत दिनों के बाद मिले हैं हम दोनों
Shweta Soni
मोतियाबिंद
मोतियाबिंद
Surinder blackpen
पेड़ लगाओ तुम ....
पेड़ लगाओ तुम ....
जगदीश लववंशी
मन की बात
मन की बात
पूर्वार्थ
*देश के  नेता खूठ  बोलते  फिर क्यों अपने लगते हैँ*
*देश के नेता खूठ बोलते फिर क्यों अपने लगते हैँ*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
"नींद आने की दुआ भूल कर न दे मुझको।
*Author प्रणय प्रभात*
बर्फ की चादरों को गुमां हो गया
बर्फ की चादरों को गुमां हो गया
ruby kumari
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
श्री राम भजन
श्री राम भजन
Khaimsingh Saini
तेवरी का आस्वादन +रमेशराज
तेवरी का आस्वादन +रमेशराज
कवि रमेशराज
"मन-मतंग"
Dr. Kishan tandon kranti
शुम प्रभात मित्रो !
शुम प्रभात मित्रो !
Mahesh Jain 'Jyoti'
Loading...