जन जन में खींचतान
आबादी के लिहाज से दुनिया
में भारत का अब पहला स्थान
मगर अर्थव्यवस्था की दृष्टि से
विश्व में पांचवां इसका स्थान
संसाधनों की उपलब्धता को
यदि मानें विकास का मानदंड
तब हमको नजर आएगा देश
के कर्णधारों का असल पाखंड
अमीर और गरीब के बीच उपन्न
खाई बढ़ती ही जा रही लगातार
सवाल एक बड़ा है आखिर क्यों
एकदम लाचार दिख रही सरकार
आर्थिक विकास के मानक और
सही उपाय तलाशने में है खामी
तभी महंगाई और बेरोज़गारी का
हल खोजने में दिखती है नाकामी
देश में बमुश्किल तीन फीसदी लोग
ही सभी जरूरी सुविधाओं से संपन्न
बाकी बचे लोगों का जीवन मूलभूत
सुविधाओं के लिए रहे अक्सर खिन्न
संसाधनों के लिए कदम कदम पर
मची रहती है जन जन में खींचतान
अधिसंख्य का जीवन संघर्ष की होम
चढ़े जैसे हों वे देश की शापित संतान
अस्पताल से लेकर श्मशानघाट तक
हर तरफ दिखती लोगों की भारी भीड़
जरूरत के लिहाज से बहुत छोटी दिखे
हर ओर उपलब्ध संसाधनों की लकीर
साफ नजर आती हैं प्रबंधन की खामियां
पर तथ्यों पर गौर नहीं करते इंतजामियां