जन की दशा….
जन की दशा……
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जन की दशा बिगड़ रही, हाल हुआ बेहाल
कब कोरोना जाएगा, बना हुआ है काल
बना हुआ है काल, नयन से आंसू बरसे
साँस रही है टूट, लोग जीवन को तरसें
कह “दीपक” कविराय, धरा पर मचा है क्रंदन
देव हरो यह रोग, स्वस्थ हो जायें सभी जन।
दीपक “दीप” श्रीवास्तव