जन्म से मरन तक का सफर
❤️जन्म से मरन तक का सफर❤️
जब हम दुनिया में आते हैं
आँखों में बस आँसू ही लाते हैं,
होते हैं जब हम पैदा
मुस्कुराने की बजाए ,हम रोते हैं,
लेकिन हमें देखकर सब खुश होते हैं।
सुनकर हमारी किलकारियां सबके चेहरे खिलते हैं,
धीरे धीरे फिर हम चलना और
अपने हाथों से खाना सीखते हैं,
फिर जाते हैं स्कूल और अध्यापकों से पढ़ना सीखते हैं,
करके विद्या पूरी ग्रहण फिर हम नौकरी की तालाश में निकलते हैं,
ऐसे ही धीरे धीरे फिर हम ज़िम्मेदारी संभालना सीखते हैं,
हो जाती है फिर जब शादी तो बहुत अरमान दिल में दबाना सीखते हैं,
फिर अपने बच्चों को पढ़ाना, संस्कार देना और उनकी ज़िम्मेदारी संभालना सीखते हैं,
ऐसे ही फिर बुढ़ापा आ जाता है
फिर वह भी हमें बहुत कुछ सीखा जता है,
यदि बच्चे अच्छे निकले तो बुढ़ापा खुशी खुशी साल दो साल और बढ़ जाता है,
और यदि बच्चे अच्छे न निकले तो ज़िन्दगी का समय घट जाता है।
ऐसे ही फिर हमारे ज़िन्दगी का अंत हो जाता है,
और फिर इस दुनिया में बस हमारा नाम ही रह जाता है।
यही है ज़िन्दगी मेरे दोस्त ,
जो जन्म से लेकर मरन तक
बहुत कुछ सीखा जाता है।
बहुत कुछ सीखा जाता है
वंदना ठाकुर “चहक”