जन्मोत्सव प्रभु श्री राम का
प्रभु आप तो रघुवंश हैं ईश्वर के अंश हैं
पूर्वज हमारे आप दशरथ के वंश हैं ,
प्रभु आपके धैर्य के आगे सबके शीश झुके हैं
प्रभु के घर में जन्मोत्सव मनाने को हम सब रूके हैं ,
प्रभु आप तो धीरज का पर्याय हैं
और हम अपने कर्मों से असहाय हैं ,
प्रभु थोड़ा वक्त और दीजिए
अपने भक्तों को क्षमा किजिए ,
हम भी अपना जन्म सवारेगें
आपको आपके घर में उतारेगें ,
युगों से जो आस सबकी लगी है
उसको पूरी करने में हमारी ही कमी है ,
प्रभु अब और धैर्य धरा जाता नही
ऐसा नही की हमारा आप से नाता नही ,
हम अपने इस कलयुग से लाचार हैं
खुद से खुद की लड़ाई से परेशान हैं ,
हम सब अब स्वयं के अहम से उपर उठेगें
और प्रभु आपको आपके घर में धरेगें ,
श्रद्धा से शीश नवा कर आपके चरणों में रखेगें
तभी हम सब कृतघ्न खुद को रामभक्त कहेगें ।
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 13 – 04 – 19 )