जन्मदिन
हम फुले नहीं समाये थें
मेरी कोख में,जब तुम आए थें
लम्हा वो, खुशी का फंडा था
बाहर मौसम,बहुत ही ठंडा था
जैसे-जैसे फिर, तुम बड़े हुए
थे अरमा बहुत, चित्त में पले हुए
नन्हीं कोपल से, तेरी हलचल तक
अंकुरन से लेकर, अलगन तक
ना जाने कितने, सपने बुने
उनमें से, कुछ मैंने, कुछ पापा ने चुने
फिर तुम, इस संसार में आए
खूशियाँ अपार, संग में लाए
उस दिन से लेकर आज तक
तुम्हें देखकर जीते हैं
आज तुम्हारे जन्मदिन पर
अनेकोनेक, शुभकामनाएं देते हैं
रेखा कापसे
होशंगाबाद, मप्र