जन्नत
तेरा ही नाम
नजर आता है मुझे
जब भी पलटता हूं
पन्ना किताब का ।
तेरा ही जिक्र
होता है महफिल मे
जब भी लगा लेता हूं
तड़का शराब का ।
तेरा ही आंचल
पनाह देता है मुझे
जब भी तलाश करता हूं
पल सुकून का ।
तेरा ही साथ
जन्नत सा लगता है
जब भी चख लेता हूं
अमृत प्यार का ।।
राज विग 20.06.2020