जनसंख्या का भार
आजाद भारत की आबादी
होने को डेढ़ अरब के पार
कब तक भारत सह सकेगा
जनसंख्या का भार।
समस्या यह छोटी नहीं है
यह हमें समझना होगा
राजनीति से ऊपर उठकर
ठोस कदम पर डटना होगा।
नदी भी खाली पड़ जाएगी
इतनी प्यास बुझाने को
धरती मां घुटने टेक देगी
इतनो की भूख मिटाने को।
क्या तुम अपने बच्चों को
अच्छा भविष्य दे पाओगे
या धरती का असंतुलन कर
पीढ़ी ही नष्ट कर जाओगे।
– विष्णु प्रसाद ‘पाँचोटिया’