जनभ
******जनभाषा हिन्दी******
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हम तो हैं हिन्दी देश के वासी
अंग्रेजी भाषा अभिलाषी
अंग्रेजी बनी प्रतिष्ठा सूचक
अपमानित मातृभाषा प्यासी
विदेशी भाषा स्वदेशी हुई
जनभाषा बन गई परदेसी
शिक्षण अधिगम में है अंग्रेजी
राह देखती है हिन्दी जिज्ञासी
कबीर, रहीम रसखान पराये
भारतेंदु की हिन्दी बनी दासी
जीत हुई पर हुई प्रीत परायी
फिरंगी में रंगे हिंदी वासी
हिन्दी की बनी सौतन अंग्रेजी
सौतेलापन सहती बनी वहशी
राजनीति का है मुद्दा बन गई
शिकार होती रहे हस्त सियासी
मनसीरत राष्ट्रीय भाषा दर्जा
जैसे निज आलय में है पड़ौसी
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)