जनता की आवाज़
ऐ दोस्त, तुम्हारा
हाल है क्या
पाकेट में कुछ
माल है क्या…
(१)
इस महंगाई के
दौर में भी
मयस्सर तुम्हें
रोटी-दाल है क्या…
(२)
वक़्त का कोई
जलता हुआ
तुम्हारे लबों पर
सवाल है क्या…
(३)
दरबारी कवियों के
भेड़ चाल से
अलग तुम्हारी
चाल है क्या…
(४)
आम जनता की
आवाज़ बन सको
तुम्हारी ऐसी
मजाल है क्या…
(५)
पिछला बरस तो
बुरा ही बीता
राहत तुम्हें
इस साल है क्या…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
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