जड़ होती चेतना
आस्था का प्रश्न उठते ही
सोचना तक छोड़ देते हैं लोग!
तर्क, बुद्धि और विवेक से
अपना मुंह मोड़ लेते हैं लोग!!
इस सीमा तक हो जाती है
प्रायः जड़ उनकी चेतना कि!
किसी मृत विश्वास के लिए
जीवंत हृदय तोड़ देते हैं लोग!!
Shekhar Chandra Mitra
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