जड़ और चेतन।
जड़ शब्द को हमने वृक्षों से लिया और मानव स्वभाव से जोड़ दिया गया है। इसी प्रकार हमने चेतन शब्द को संवेदना से उठाया और जोड़ दिया ,स्वभाव से। जड़–का अर्थ है कि वह अपने स्वभाव में किसी भी तरह का बदलाव नही कर सकती हैं।इसी तरह जो इंसान अपने अन्दर किसी भी प्रकार का परिवर्तन नही कर सकता है। उसे जड़ मति कहा गया है।उस पर किसी भी ज्ञान का असर दिखाई नही दे रहा है। उसके अंदर की सारी संवेदना मर चुकी होती है। क्योंकि जड़ अपनी जगह से कभी हिलता-ढुलता नही है।इसी तरह,चेतन शब्द को भी हमने,मानव को जगाने के लिए उपयोग किया है।उसका स्वभाव इतना संवेदनशील होना चाहिए कि,वह किसी भी महान आत्मा के संपर्क में आने पर उसके हृदय के पट खुल जाये।तब समझ लेना कि,यह प्राणी चेतन्य हो गया है। यहां पर हमें यह बताया गया है कि,आप कितने जल्दी सुप्त अवस्था से चेतन अवस्था में आ सकते हो।।