जज्बात की बात -गजल रचना
जज्बातों का सिलसिला कुछ इस कदर चला है ,
तेरे मेरे दरमियाँ बहार ए गुलिश्ता खिला है।
मुलाकातों की वो महफिल सज गई जब,
चाँदनी रात में मुलाक़ातों का सिलसिला है।
शिकायतें हैं मगर प्यार भी बहुत है,
तेरे मेरे हालातों में क्या मलाल क्या गिला है।
हसरतों का कारवां यूँ ही नहीं रुका,
किस्मत से हर ख्वाब यहाँ बेख़ौफ़ पला है।
दीवानगी में नाम तेरा ही तो बोला,
तेरी उल्फत की आँधी में दिल अंदर तक हिला है।
मशहूर हो गए हो तुम मेरी मोहब्बत में,
हर गली हर चौराहे में ये चर्चा ए आम मिला है।
मगरूर हो न तुम, आओ बात करें,
दिल से दिल का रास्ता प्रेम के धागे से सिला है।
इंसानियत की राहों में जो चले हम,
अपनेपन की ख़ुशबू से चेहरा खिला है।
रूमानियत की इस छाँव में, जी तो लो जरा,
हर पल में जिंदगी जीने का मजा मिला है।
‘असीमित ‘इस दुनिया में जहाँ मोहब्बत है,
हर दिल रोशनी से महफ़ूज़ मज़बूत क़िला है।