जच्चा-बच्चासेंटर
जच्चा-बच्चासेंटर
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मेरा जन्म-स्थान “जच्चा – बच्चा सेंटर “, रामपुर : चार अक्टूबर उन्नीस सौ साठ
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राँची से अंजू जीजी का फोन मुझे जन्मदिन पर बधाई देने के लिए आया था।
” अब तुम साठ साल के हो जाओगे ।”
मैंने कहा “बचपन में मैं समझता था कि जो लोग साठ साल के होते हैं , वह बहुत बूढ़े और बुजुर्ग होते हैं । मुझे तो ऐसा कुछ भी नहीं लग रहा ।”
इस पर अंजू जीजी हँसने लगीं। टेलीफोन पर उनके हँसने की आवाज स्पष्ट आ रही थी। फिर कहने लगीं” तुम जच्चा- बच्चा सेंटर में पैदा हुए थे ।”
वह मुझसे सात साल बड़ी हैं , अतः उनको याद रहना स्वाभाविक है ।
मैंने पूछा “वही जच्चा-बच्चा सेंटर ,जो हमारे घर और दुकान के सामने है ?”
वह बोलीं” हाँ , 3 अक्टूबर को रात के बारह बजे के बाद तुम्हारा जन्म हुआ था। अतः कैलेंडर के अनुसार 4 अक्टूबर की तारीख थी । सही – सही समय तो मुझे याद नहीं रहा ,जन्मपत्री में लिखा होगा । इसी दिन शरद पूर्णिमा भी थी।”
अंजू जीजी से बात करने के बाद मैं स्मृति के गलियारों में विचरण करने लगा। साठ के दशक में जच्चा-बच्चा सेंटर एक जीवंत संस्था थी। अनेक बार मेरा जच्चा-बच्चा सेंटर में बचपन में जाना हुआ था। जच्चा बच्चा सेंटर के भीतर जाने का मतलब खुशी का अवसर होता था । यद्यपि जच्चा बच्चा सेंटर के भीतर डॉक्टर और नर्स रहती थीं तथा अपने कार्य में संलग्न उन्हें देखा जा सकता था, लेकिन फिर भी इसका माहौल अन्य चिकित्सालयों से बिलकुल अलग होता था । हम बच्चों में नवजात शिशु को देखने की उत्सुकता और उत्साह और भी ज्यादा होता था । इसलिए जब भी जच्चा-बच्चा सेंटर जाना हुआ ,यह एक अलग ही उल्लास का एहसास लिए होता था । जच्चा-बच्चा सेंटर का अपना एक जमाना रहा था । एक समय शहर के सभी लोग यहीं पर आते थे। मेरे जन्म के बाद भी दस – बारह साल तक एक अच्छे प्रसूति – गृह के रुप में जच्चा-बच्चा सेंटर की शान कायम रही। फिर उसके बाद धीरे – धीरे यह मेडिकल सुविधाओं की दौड़ में पिछड़ता चला गया । अब तो लगभग पचास वर्ष हो गए होंगे, मैं इसके भीतर कभी नहीं गया । बस चहल-पहल से भरे हँसते – मुस्कुराते बहुत बड़े स्थान की याद मन में धुँधली – सी बसी है ।
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रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा ,
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451*