जग में अपना अस्तित्व बचाये रक्खो
22 + 22 + 22 + 22 + 22 + 2
कुछ सच, कुछ झूठ यहाँ फैलाये रक्खो
जग में अपना अस्तित्व बचाये रक्खो
होता आया था जो, हो रहा है अब भी
खेल मदारी में ही उलझाये रक्खो
सदियों से करते आये शाह यही तो
जो भी हक़ माँगे, उसको सुलाये रक्खो!
सच था, सच है, सच ही रहेगा हरदम ये
सबको मज़हब की अफ़ीम चटाये रक्खो
कल भी मरता था ये, आगे भी मरेगा
बस मुफ़लिस को जाहिल ही बनाये रक्खो