जग मग दीप जले अगल-बगल में आई आज दिवाली
जग मग दीप जले अगल-बगल में आई आज दिवाली
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जग मग दीप जले अगल-बगल में आई आज दिवाली,
सुख समृद्धि के फूल खिलें आंगन आई आज दिवाली।
हर नर-नारी और बच्चे- बूढ़े खुशी से फूले नहीं सनाये,
पुलकित और हर्षित दिखतें सारे आई आज दिवाली।
खग विहग के मधुर कलरव से गगन गुंजायमान हुआ,
खुशियाँ सूने चेहरों पर दी दिखाई आई आज दिवाली।
चौदह वर्ष के थे बाद पधारे राम लखन संग सीता के,
अवध नगरी मे बज गई शहनाई आई आज दिवाली।
सुमन समर्पित धूप दीप से आरती का थाल सजाया,
लक्ष्मी पूजन हर घर द्वार हुआ है आई आज दिवाली।
सोये मन मे राम नाम जगाओ बेडा पार हो जाएगा,
पाप – अधर्म का नाश हो जग में आई आज दिवाली।
कर वंदन हो राम चरण में भक्ति में शीश झुकाएँ हम,
रोली रंगोली से सेज सजाएँ हम आई आज दिवाली।
मनसीरत मन में पैदा हो आपस में सौहार्द भाईचारा,
वैर विरोध का दूर हो जाए साया आई आज दिवाली।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेडी राओ वाली (कैथल)