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29 Apr 2020 · 1 min read

जग दुख का आगार है

जग दुख का आगार है, नहीं रोइये रोज।
रोना धोना छोड़ कर, सुख के कारक खोज।।
सुख के कारक खोज, लगा लत नेक काम की।
कर दुखियों की मदद, फिकर नहि कर इनाम की।।
परमारथ की लगन, जब तुम्हें जायेगी लग।
भूलोगे निज कष्ट, लगेगा अति सुंदर जग।।

जयन्ती प्रसाद शर्मा

3 Likes · 2 Comments · 214 Views
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