जग जाएगा रूठ
पंच तत्वों की यह काया,
जिस पर है मन की छाया,
बड़ा ही है चंचल स्वभाव,
पल पल बदलता हावभाव,
बहुत करता है माया माया,
सोच क्या तू लाया लाया,
इस धरा का यही रह जायेगा,
बांध गठरी यही छोड़ जाएगा,
इसलिए…..
हर पल जी ले होकर खुश,
क्यो होता है इतना नाखुश,
तन भी जाएगा एक दिन छोड़,
दूर खड़े होंगे अपने भी मुंह मोड़,
सारे बंधन जाएंगे टूट,
मोह माया जाएगी छूट,
सब है यहां झूठ,
जग जाएगा रुठ,
।।।जेपीएल।।