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10 Jul 2021 · 1 min read

जग खुशियों का आँगन हो…

बसा नयनों में साजन हो….

बसा नयनों में साजन हो
और साजन का आँगन हो

संग साजन के हिलमिल
प्यार से छाई छाजन हो

माथे बिंदिया कर में कंगन
पैरों में झनकती झाँझन हो

भीगी कजरारी रातें हों
घनघोर बरसता सावन हो

बहका-बहका कजरा हो
महका-महका दामन हो

मन हो पावन गंगा- सा
खिले गुलाब-सा आनन हो

सहज-सरल-सा जीवन हो
मन वृंदावन पावन हो

बरसें नेमत कुदरत की
कनकन प्रेम का भाजन हो

बिछुड़ साजन से जीती हो
ऐसी न कोई अभागन हो

मिलजुल कर सब साथ रहें
जग खुशियों का आँगन हो

– डॉ.सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद (उ.प्र.)
“चाहत चकोर की” से

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