जग केवल गौतम को पूजे
मानवता का पाठ पढ़ाकर,
जिसने जग से यह बोला।
दया धर्म ही सर्वोपरि है,
जिसने जग का चक्षु खोला।
राज-भोग को त्याग के जिसनें,
वन पथ को था अपनाया।
जीव मात्र को प्रेम सीखा कर,
नर से नारायण कहलाया।
शीष काटने वाला अंगुली,
कुछ पल में ही हार गया।
बस कुछ शब्दों को पाकर ही,
अपना जीवन तार गया।
जग केवल गौतम को पूजे,
राह चूने ना उनकी कोई।
जो जग गौतम राह चले,
फिर कैसी महामारी कोई।
आज उसी महामानव को,
याद करे है दुनिया सारी।
जो जग चुनता राह दया की,
बढ़ती ना ये अत्याचारी।
राग द्वेष को दूर करो प्रभु,
मुझमें हिंसा अति अपार।
“जटा” तुम्हारा शरणागत है,
अनुनय करता बारम्बार।
जटाशंकर”जटा”
बुद्ध जयंती
०७-०५-२०२०