जगो हिन्द के शेरों
जगो हिन्द के शेरों जागो, कब तक शीश कटाओगे।
यूँही मरते जाओगे क्या, यूँही मरते जाओगे।।
जगो हिन्द के प्यारो जागो, कब तक प्रीत निभाओगे।
कायर ही बन जाओगे क्या, कायर ही बन जाओगे।।
उन वीरों की संताने हम, कैसे मुँह को दिखाओगे।
कायर बन मर जाओगे क्या कायर बन मर जाओगे।।
आज जरूरी है दुनिया को, शक्ति कब दिखलाओगे।
शक्तिहीन बन जाओगे क्या शक्तिहीन बन जाओगे।।
धिक्कार रही हैं ये धरती, धिक्कार रहा है जग सारा।
कायर बन मर जाओगे क्या कायर बन मर जाओगे।।
वीर शिवा और महाराणा का रक्त ना कैसे खोला है।
रक्त नहीं क्या पानी है जो रक्त नहीं ये खोला है।।
मातृभूमि पर मर मिटने का, कहां गया वो जज्बा है।
देश हमारा अपना है यह देश हमारा अपना है।।
जगो धर्म पर मिटने वालों, कब तक आँख ना खोलोगे।
कायर बन कर डोलोगे क्या कायर बन कर डोलोगे।।
मातृभूमि का ऋण हैं तुम पर, कब तक तुम बच पाओगे।
कायर ही बन जाओगे क्या कायर ही बन जाओगे।।
घर में बैठे डरे हुए हम, घर में ही मर जायेंगे।
कब तक हम शर्माएगे और कब तक हम घबराएगे।।
मौत तो निश्चित आनी है, फिर मौत से अब क्यों डरना है।
उठो लड़ो अब जीना है, और मार-मार के जीना है।।
राष्ट्र तुम्हारा है केवल ये, कब तक मार यू खाओगे।
खंड-खंड हो जाओगे फिर खंड-खंड हो जाओगे।।
प्राण प्रतिष्ठा में तुम अपने, प्राण बजाते फिरते हो।
कायर बनकर फिरते हो तुम, कायर बनकर फिरते हो।।
ललकार दिखा दो अब इनको, ललकार के ही ललकारो ना।
घर में घुसकर मारो ना, अब घर में घुसकर मारो ना।।
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“ललकार भारद्वाज”