गीत
गीत
मात्रा भार 16/16
प्रदत पंक्तियां -थाम तूलिका पतझड़ लिखता ,
नवल सृजन की गाथा अनुपम।
बदल ऋतु ने ली अंगड़ाई,
पवन बसंती बहती मधुरम।
ऋतुराज भी मंद मुस्काए,
चली कामिनी मिलने प्रियतम।
थाम तूलिका पतझड़ लिखता, नवल सृजन की गाथा अनुपम।
हो हर्षित सब बाग बगीचा,
फिर नवजीवन को आतुर है।
नव पल्लवों ने दृष्टि खोली,
फिर कली -कली ने घूंघट है।
बदल ऋतु ने ली अंगड़ाई,
पवन बसंती बहती मधुरम।
थाम तूलिका पतझड़ लिखता नवल सृजन की गाथा अनुपम।
लो मधुप मधुर राग सुनाने,
सज- धज बगिया में आते हैं।
कुसुमित-कुसुमित क्यारी क्यारी,
हर्षित हो नैन मिलाते हैं।
नवजीवन का साथ निभाने,
गाए राग की मधुर सरगम।
थाम तूलिका पतझड़ लिखता नवल सृजन की गाथा अनुपम।
बीता जाड़ा बसंत आया
,कण -कण महि का हर्षाया है।
सोई जीवन की घड़ियों को ,
सोते में आ महकाया है।
धार धरा लो चुनर बसंती,
दुल्हन का रूप सजा अनुपम।
थाम तूलिका पतझड़ लिखता नवल सृजन की गाथा अनुपम।
ललिता कश्यप जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश