जगजीत की याद में
*** जगजीत की याद में ****
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गजलकार तो बहुत हैं जहां में,
पर जैसा कोई जगजीत नहीं।
होंठों को छू कर थी दिखाई,
देखी ऐसी कोई प्रीत नहीं।
उन्हें देखकर जो ख्याल आया
घनी जुल्फ़ों से पाया जीत नहीं।
देख कर देखता ही रह गया वो,
प्यार का लिख पाया गीत नहीं।
बात निकली जो हाथ न आई,
कोई फरियाद हुई मीत नहीं।
जगजीत तुम इतना मुस्कराए,
झुकी-झुकी है नजर शीत नहीं।
मनसीरत होश वाले हैं बेखबर,
सफ़र में हैं नशे में संगीत नहीं।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल(