जख्म हैं कुछ दिनों में भर जाएंगे
है कोरोना बहुत हम भी घर जाएंगे ।
जबतक खतरा रहा न शहर जाएंगे ।
कांपते लोग है घर मे दुबके हुए।
भूख के मारे है ये बेचारे है
पानी पीने से पेट कहाँ भर जाएंगे ।
कुछ मदद तो करो अरे! सरकार तुम
वरना मजदूर ये तो मर जाएंगे ।
है सदा याद रखना जो मददगार हैं
जख्म है कुछ दिनों में भर जाएंगे ।।
है कोरोना बहुत हम भी घर जाएंगे ।
जबतक खतरा रहा न शहर जाएंगे ।
विन्ध्य कहते सुनो सावधान रहो
कोरोना का संकट भी टल जाएंगे ।
विन्ध्य प्रकाश मिश्र विप्र