Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Sep 2017 · 1 min read

जख्म आज भी ताजे हो जाते है

जख्म आज भी ताजे हो जाते है
जब यादे बनकर वो पल आँखों के
समक्ष आ जाते है
दर्द होता है उस वक्त जब
सारे किस्से फिर वही गीत गाते है
ना भूल पाते है ना ही भुलाए जाते है
वो पल हकीकत बन फिर सताते है
मोती की माफिक पानी बन बाहर आते है
कभी रातों में जुगनुओं से बतियाते है
तो कभी खुद ब खुद ही बडबडाते है
ख़्वाबों में आने का वादा देकर
रतजगा करा जाते है
बंद पिंजरे में हम फडफडा कर रहे जाते है
अपनी यादों की कफ़स में कैद कर जाते है
खुद ही कफ़स से टकराकर घायल हो जाते है
मरहम की जुस्तजूं में जख्म ही पाते है
हम कश्ती को अपनी वही खड़ा पाते है
किनारे का लालच देकर मंझधार में छोड़ जाते है
हक तो जताते नही ख़्वाबों अपना बना जाते है
डूबती हुई नैया को फिजाओं के साहारे ही
आगे बढाते है
खुद पर हँसते है और वो हमे ऐसे ही छोड़ जाते है
जख्म को फिर ताज़ा कर जाते है
ना अपना बताते है और ना ही
यादों से खुद को दूर कर पते है
वो ख़्वाबों में सताते है, रुलाते है, और
हम टूटी हुई माला की तरह बिखर जाते है

भूपेंद्र रावत
12/09/2017

Language: Hindi
2 Likes · 792 Views

You may also like these posts

- जिंदगी हो गई क्रिकेट मैच की तरह -
- जिंदगी हो गई क्रिकेट मैच की तरह -
bharat gehlot
#बाउंसर :-
#बाउंसर :-
*प्रणय*
एक सोच
एक सोच
Neeraj Agarwal
#लफ़्ज#
#लफ़्ज#
Madhavi Srivastava
बहू
बहू
Buddha Prakash
भाई दूज
भाई दूज
Mamta Rani
सीमजी प्रोडक्शंस की फिल्म ‘राजा सलहेस’ मैथिली सिनेमा की दूसरी सबसे सफल फिल्मों में से एक मानी जा रही है.
सीमजी प्रोडक्शंस की फिल्म ‘राजा सलहेस’ मैथिली सिनेमा की दूसरी सबसे सफल फिल्मों में से एक मानी जा रही है.
श्रीहर्ष आचार्य
अपनी ताकत को कलम से नवाजा जाए
अपनी ताकत को कलम से नवाजा जाए
कवि दीपक बवेजा
देखो ! यह बेशुमार कामयाबी पाकर,
देखो ! यह बेशुमार कामयाबी पाकर,
ओनिका सेतिया 'अनु '
झोपड़ियों से बांस खींचकर कैसे मैं झंडा लहराऊँ??
झोपड़ियों से बांस खींचकर कैसे मैं झंडा लहराऊँ??
दीपक झा रुद्रा
दिल से बहुत बधाई है पोते के जन्म पर।
दिल से बहुत बधाई है पोते के जन्म पर।
सत्य कुमार प्रेमी
जब तक हम ख़ुद के लिए नहीं लड़ सकते हैं
जब तक हम ख़ुद के लिए नहीं लड़ सकते हैं
Sonam Puneet Dubey
होली
होली
Dr Archana Gupta
ग़ज़ल - कह न पाया आदतन तो और कुछ - संदीप ठाकुर
ग़ज़ल - कह न पाया आदतन तो और कुछ - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
स्त्री
स्त्री
sheema anmol
सर्द आसमां में दिखती हैं, अधूरे चाँद की अंगड़ाईयाँ
सर्द आसमां में दिखती हैं, अधूरे चाँद की अंगड़ाईयाँ
Manisha Manjari
*मिलती जीवन में खुशी, रहते तब तक रंग (कुंडलिया)*
*मिलती जीवन में खुशी, रहते तब तक रंग (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
3254.*पूर्णिका*
3254.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
संवेदना( वीर ज़वान)
संवेदना( वीर ज़वान)
Dr. Vaishali Verma
कुंडलिया छंद
कुंडलिया छंद
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
तेरे मन मंदिर में जगह बनाऊं मै कैसे
तेरे मन मंदिर में जगह बनाऊं मै कैसे
Ram Krishan Rastogi
" दिल "
Dr. Kishan tandon kranti
तमस अमावस का घिरा, रूठा उजला पाख।
तमस अमावस का घिरा, रूठा उजला पाख।
डॉ.सीमा अग्रवाल
आप चाहे हज़ार लाख प्रयत्न कर लें...
आप चाहे हज़ार लाख प्रयत्न कर लें...
Ajit Kumar "Karn"
अवध मे राम आए है
अवध मे राम आए है
dr rajmati Surana
कड़वा बोलने वालो से सहद नहीं बिकता
कड़वा बोलने वालो से सहद नहीं बिकता
Ranjeet kumar patre
लघुकथा -आत्मसम्मान
लघुकथा -आत्मसम्मान
Yogmaya Sharma
बिहनन्हा के हल्का सा घाम कुछ याद दीलाथे ,
बिहनन्हा के हल्का सा घाम कुछ याद दीलाथे ,
Krishna Kumar ANANT
स्वागत बा श्री मान
स्वागत बा श्री मान
आकाश महेशपुरी
कभी-कभी कोई प्रेम बंधन ऐसा होता है जिससे व्यक्ति सामाजिक तौर
कभी-कभी कोई प्रेम बंधन ऐसा होता है जिससे व्यक्ति सामाजिक तौर
DEVSHREE PAREEK 'ARPITA'
Loading...