जंगल में सर्दी
बन्दर टोपी-मफलर पहने,
भालू को ललचाये कोट।
बिल में बैठ गिलहरी सोचे,
कहाँ मिलें काजू, अखरोट?
लोमड़ी लगा रही तिकड़म,
गजक, मूँगफली कुछ खाये।
हाथी भी है पड़ा सोच में,
तालाब पर जाये न जाये।
वृक्ष खड़े हैं शान्त भाव से,
कलियाँ, फूल ओस में नहाये।
पक्षी घोंसलों में छुप बैठे,
सर्दी सभी को रही सताये।
रचनाकार – कंचन खन्ना, मुरादाबाद,
(उ०प्र०, भारत) ।
सर्वाधिकार, सुरक्षित (रचनाकार) ।
दिनांक – २८/१२/२०२१.