जंगल गए थे हमको वहां लकड़ियां मिली
जंगल गए थे हमको वहां लकड़ियां मिली
समझा किसी ने हमको वहां लड़कियां मिली
हमने उठा के लकड़ियों को फिर जला दिया
समझा किसी ने लड़कियों का दिल जला दिया
जल करके लकड़ियां खुद ही खुद मुस्कुरा रही
समझा किसी ने लड़कियां खुद मुस्कुरा रही
✍️कृष्णकांत गुर्जर