*छ्त्तीसगढ़ी गीत*
छ्त्तीसगढ़ी गीत
कइसे चलही जिनगानी रे!भइया
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कइसे चलही जिनगानी रे!भइया।कइसे चलही जिनगानी।।
संग देवइया कोनो नईये।
पानी पीयइया कोनो नईये।
सब सुवारथ मा बुड़े हावय
देखव उनकर सियानी रे भइया।।
कइसे चलही ……
दाई ददा मन जनम धराइन ।
पालिन पोसिन आगू बढ़ाइन।
मन बईहा होगे हमर
कइसन करत मनमानी रे भइया।।
कइसे चलही ……..
सुख दुख के संगी जवंहरिया।
मया पीरित के सुघ्घर दुनिया।
सुनता गंवागे सबो नंदागे परे परिया।।
भाखा मारे देख खेदू सुनाय कहानी रे भइया ।।
कइसे चलही …….
………✍ डॉ .खेदू भारती “सत्येश”
17-01-2024बुधवार