छोड़ दो तुम साथ मेरा
छोड़ दो तुम साथ मेरा
मैं बसेरा हूँ निशा का।
तोड़ दो तुम प्यार मेरा
मैं अकेला हूँ ईशा का।
ये काली रात ढलते ही
जाना चले आते ऊषा का।
याद रखना उस पेड़ को
जिसमें किया था क्षण बसेरा।
मिल जायेगी कुछ भी निशानी
छूट गयी जो होते सबेरा।
©”अमित”