छोड़कर चले गए
छोड़कर चले गए जग में वो निशानियाँ
स्वर्ण अक्षरों में लिखी जाएंगी कहानियाँ
मातृ भूमि के सपूत माँ की आंख के तारे
देश की रक्षा के हित प्राण जिनने है वारे
रण में हटे पीछे न धन्य आपकी गरिमा
दे गए संदेश शौर्य की दिखा गये महिमा
गर्व कर रहीं हैं जिनपे करोड़ों जवानियाँ
स्वर्ण अक्षरों में लिखी जाएंगी कहानियाँ
कर्जदार हो गए हम कैंसे चुका पाएंगे
गौरव की गाथा के गीत ही बस गाएंगे
धन्य हैं वो माता पिता जिनने सपूत जाये
देवों का रूप लेके जिनके जो घर आये
दुश्मनों पे टूटे ज्यों मोजों की रवानियाँ
स्वर्ण अक्षरों में लिखी जाएंगी कहानियाँ