छोड़ दो
#दिनांक:-6/10/2023
#शीर्षक:-छोड़ दो।
बड़े प्यार से प्यार करते हो,
आँखों से आदतन इजहार करते हो,
एकटक यूं क्या देखते हो ?
हमें देख लम्बी आह क्यों भरते हो?
तस्वीर मेरी मैंने !
तेरे सीने पर आज पायी !
मुस्कुरा रहे थे जब तुम,
तेरे सीने से लिपट मैं बहुत रोई।
हर बात पर मेरे तुम मुस्कुरा देते हो,
पता नहीं सुनते भी हो !
या बस प्रेम में डूबे रहते हो ?
खुद हरण हो गई हूँ मैं,
तेरे दिल से वरण हो गई हूँ मैं!
फैल रहे हो ,
दिल की दुनियॉ पर बेलगाम,
असीमित प्रेम के घर में तेरे,
रह रही हूँ मैं,
कभी-कभी तन्हॉ जो सताते हो,
सताना छोड़ दो,
ख्याबों में अधरों को छू जाते हो,
छोड दो।
मुरीद हो गया दिल ,
तेरे और तेरे प्यार का,
अब वफा के किस्से,
रोज-रोज सुनाना,
छोड़ दो|
रचना मौलिक, अप्रकाशित, स्वरचित और सर्वाधिकार सुरक्षित है।
प्रतिभा पाण्डेय “प्रति”
चेन्नई