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16 May 2023 · 1 min read

छोड़ दूं क्या…..

हूँ तन्हा, तो निकलना छोड़़ दूँ क्या,
मैं सूरज हूँ, चमकना छोड़़ दूँ क्या….

बुझूंगा एक दिन, ये जानता हूँ,
मगर इस डर से, जलना छोड़़ दूँ क्या…..

नहीं रहता है वो, ये जानकर मैं,
गली से भी, गुजरना छोड़ दूँ क्या….

मैं भाता तो नहीं हूँ, आईनों को,
तो मैं सजना संवरना, छोड़़ दूँ क्या….

अगर किस्मत में, बर्बादी ही लिखी है,
तो मैं, किस्मत बदलना छोड़ दूँ क्या….

अगर उम्मीद ने, छोड़ा है दामन,
इरादों से भी, लड़़ना छोड़ दूँ क्या…..

समंदर गर नहीं हूँ, मैं हूँ दरिया,
किनारों पर मचलना, छोड़़ दूँ क्या……?

Language: Hindi
1 Like · 324 Views

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