Sahityapedia
Login
Create Account
Home
Search
Dashboard
0
Notifications
Settings
Gouri tiwari
24 Followers
Follow
Report this post
17 Aug 2021 · 1 min read
छोड़ दी हमने वह आदते
छोड़ दी हमने वह आदतें जो उन्हें पसंद ना थी,
और वह कह गए हमने किया ही क्या है।
Language:
Hindi
Tag:
शेर
Like
Share
7 Likes
·
5 Comments
· 430 Views
Share
Facebook
Twitter
WhatsApp
Copy link to share
Copy
Link copied!
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Join Sahityapedia on Whatsapp
You may also like:
इंद्रदेव समझेंगे जन जन की लाचारी
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
तेरा वादा.
Heera S
क्या वायदे क्या इरादे ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
ये दिल तेरी चाहतों से भर गया है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
दुश्मन से भी यारी रख। मन में बातें प्यारी रख। दुख न पहुंचे लहजे से। इतनी जिम्मेदारी रख। ।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
लग़ज़िशें दिल ये कर नहीं सकता,
Dr fauzia Naseem shad
"ले जाते"
Dr. Kishan tandon kranti
लोगो की नजर में हम पागल है
भरत कुमार सोलंकी
सिंह सा दहाड़ कर
Gouri tiwari
हम हारते तभी हैं
Sonam Puneet Dubey
किताबों में झुके सिर दुनिया में हमेशा ऊठे रहते हैं l
Ranjeet kumar patre
ग़ज़ल _नसीब मिल के भी अकसर यहां नहीं मिलता ,
Neelofar Khan
If.. I Will Become Careless,
Ravi Betulwala
चरित्र साफ शब्दों में कहें तो आपके मस्तिष्क में समाहित विचार
Rj Anand Prajapati
इंसानियत
अशोक कुमार ढोरिया
4541.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मुझे पता है तुम सुधर रहे हो।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
ये जो अशिक्षा है, अज्ञानता है,
TAMANNA BILASPURI
मां की महत्ता
Mangilal 713
*क्या कर लेगा इंद्र जब, खुद पर निर्भर लोग (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
ज़िन्दगी नाम है चलते रहने का।
Taj Mohammad
"मनुज बलि नहीं होत है - होत समय बलवान ! भिल्लन लूटी गोपिका - वही अर्जुन वही बाण ! "
Atul "Krishn"
संवेदना अभी भी जीवित है
Neena Kathuria
#हर_घर_तिरंगा @हर_घर_तिरंगा @अरविंद_भारद्वाज
अरविंद भारद्वाज
दो किसान मित्र थे साथ रहते थे साथ खाते थे साथ पीते थे सुख दु
कृष्णकांत गुर्जर
बिखरा
Dr.Pratibha Prakash
अनुभूति
Shweta Soni
किये वादे सभी टूटे नज़र कैसे मिलाऊँ मैं
आर.एस. 'प्रीतम'
यूँ हर एक चेहरे में मत ढूँढो तुम मुझको पूर्ण विद्रोही कलमकार
पूर्वार्थ
*******खुशी*********
Dr. Vaishali Verma
Loading...