छोड़ कर महोब्बत कहा जाओगे
छोड़ कर मुझे कहा जाओगे
ये मौसम की रूहानियत से कहा जाओगे
हा शोहरत व दोलत तो पाओगे
मगर अपने दिल से बगावत कर ! तो पाओगे
छोड़ कर मुझे भूल जाओगे
मोहब्बत में गुजरी वो शाम भूल पाओगे
हमसफर तो किसी को बना ही लोगे
पर कभी सामना हुआ तो ! खुद को रोक पाओगे
बिछड़ कर मुझसे जीतो पाओगे
वो हमारे नैनमटके भुला तो पाओगे
हा! अब दुनियाँ से नजरे तो चुरा ही लोगे
मगर खुद से ! भी क्या नजरे मिला पाओगे
छोड़ कर तुम मुझे किधर जाओगे
नजरे मुझसे चुरा कर इधर- उधर हों! पाओगे
शीशा सा दिल तुमारा। सम्भल जाओ
ठोकर लगने पर टुकड़े- टुकड़े बिखर जाओगे
अनिल चौबिसा
9829246588