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16 Nov 2023 · 1 min read

छोड़ आलस

छोड़ आलस प्रभु का तू गुणगान कर
राम जी ही लगाएँ तुझे पार रे
क्या रखा है जगत में प्रभु के सिवा
बोल वैकुंठ है जग का आधार रे

पाप का अंत करने वो ललकारते
बाण की नोक पर राम जग तारते
घोर वनवास को जब सिया चल पड़ी
देख कर ये व्यथा शाम ख़ुद हारते
राम की हार तो सब की ही हार रे
बोल वैकुंठ है जग का आधार रे …..

अपनी संतान के सुख से वंचित रहे
राम का दुख समझ में न आया किसे
राम की इस व्यथा से परे जग रहा
तू ने तो उम्र भर देख, पाया किसे
खोल दिल के सकल झूठे सब द्वार रे
बोल वैकुंठ है जग का आधार रे…..

Language: Hindi
84 Views
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