छोड़ो रहने दो….
उन को जो कहना था वो तो कह चुके ,
अब मैं उनसे कहूँ क्या … छोड़ो रहने दो।।
रात की तन्हाइयां डसती है हमको बार बार,
दिन की बेचैनी कहूँ क्या, छोड़ो रहने दो ।।
कर के मेरी खुशी का सौदा आपको खुशियां मिली ,
जाकर उनसे ये कहूँ क्या ,छोड़ो रहने दो ।।
उनको तो मिल गया फिर किसी का ऐतबार ,
मेरे भरोसे का कहूँ क्या ….. छोड़ो रहने दो।।
उनकी यादों से उलझे है ख्यालात मेरे ,
फिर मुहब्बत का इरादा ….. छोड़ो रहने दो।।
आज हो जहाँ….खुश हो तो क्यों शिकवा करे,
फिर कभी मिलने का वादा ……छोड़ो रहने दो।।
:- आकिब जमील “कैश”